Bhagwat Geeta Saar in hindi by GYANPOINTWEB

Bhagwat Geeta Saar in hindi

bhagwat geeta Saar in hindi

bhagwat geeta Saar in hindi



क्रोध से  भ्रम  पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है। ~ भगवान श्री कृष्ण

किसी दूसरे के जीवन के साथ पूर्ण रूप से जीने से अच्छा हैं की हम अपने स्वंय के भाग्य के अनुसार अपूर्ण जियें। ~ भगवान श्री कृष्ण

जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है। ~ भगवान श्री कृष्ण

वह जो इस ज्ञान में विश्वास नहीं रखते, मुझे प्राप्त किये बिना जन्म और मृत्यु के चक्र का अनुगमन करते हैं। ~ भगवान श्री कृष्ण

मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है। ~ भगवान श्री कृष्ण

एक उपहार तभी अच्छी और पवित्र लगता हैं जब वह दिल से किसी सही व्यक्ति को सही समय और सही जगह पर दिया जायें. और जब उपहार देने वाला व्यक्ति दिल उस उपहार के बदले कुच्छ पाने का उम्मीद ना रखता हो। ~ भगवान श्री कृष्ण

आत्म-ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को  अलग कर दो. अनुशाषित रहो. उठो। ~ भगवान श्री कृष्ण

मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है.जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है। ~ भगवान श्री कृष्ण

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नर्क के तीन द्वार हैं: वासना, क्रोध और लालच। ~ भगवान श्री कृष्ण

ऐसा कोई नही, जिसने भी इस संसार मे अच्छा कर्म किया हो और उसका बुरा अंत हुआ हो, चाहे इस काल मे हो या आने वाला काल मे। ~ भगवान श्री कृष्ण

लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे. सम्मानित व्यक्ति के लिए, अपमान मृत्यु से भी बदतर है। ~ भगवान श्री कृष्ण

मन  अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है। ~ भगवान श्री कृष्ण

प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर, और सोना सभी समान हैं। ~ भगवान श्री कृष्ण

निर्माण केवल पहले से मौजूद चीजों का प्रक्षेपण है। ~ भगवान श्री कृष्ण

व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदी वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु  पर लगातार चिंतन करे। ~ भगवान श्री कृष्ण


जो भी मनुष्य अपने जीवन अध्यात्मिक ज्ञान के चरणो के लिए दृढ़ संकल्पो मे स्थिर हैं, वह समान्य रूप से संकटो के आक्रमण को सहन कर सकते हैं. और निश्चित रूप से यह व्यक्ति खुशियाँ और मुक्ति पाने के पात्र हैं। ~ भगवान श्री कृष्ण


ज्ञानी व्यक्ति को  कर्म के प्रतिफल की अपेक्षा कर रहे  अज्ञानी व्यक्ति के दीमाग को अस्थिर नहीं करना चाहिए। ~ भगवान श्री कृष्ण

हर व्यक्ति का विश्वास उसकी प्रकृति के अनुसार होता है।  ~ भगवान श्री कृष्ण

जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना. इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो।~ भगवान श्री कृष्ण

भगवान या परमात्मा की शांति उनके साथ होती हैं जिसके मन और आत्मा मे एकता हो, जो इच्छा और क्रोध से मुक्त हो, जो अपने खुद के आत्मा को सही मायने मे जनता हो।~ भगवान श्री कृष्ण

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सभी अच्छे काम छोड़ कर बस भगवान में पूर्ण रूप से समर्पित हो जाओ. मैं तुम्हे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा. शोक मत करो।  ~ भगवान श्री कृष्ण

किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि अपना काम करें, भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े। ~ भगवान श्री कृष्ण


नरक तीन चीज़ो से नफ़रत हैं: वासना क्रोध और लोभ। ~ भगवान श्री कृष्ण


मैं सभी प्राणियों को सामान रूप से देखता हूँ, ना कोई मुझे कम प्रिय है ना अधिक. लेकिन जो मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं वो मेरे भीतर रहते हैं और मैं उनके जीवन में आता हूँ। ~ भगवान श्री कृष्ण

प्रबुद्ध व्यक्ति सिवाय ईश्वर के किसी और पर निर्भर नहीं करता। ~ भगवान श्री कृष्ण

सन्निहित आत्मा के अन्नत का अस्तित्व हैं, अविनाशी और अन्नत हैं, केवल भौतिक शरीर तथ्यात्मक रूप से खराब है, इसलिए हे अर्जुन लड़ते रहो। ~ भगवान श्री कृष्ण


हे अर्जुन, केवल भाग्यशाली योद्धा ही ऐसा युद्ध लड़ने का अवसर पाते हैं जो स्वर्ग के द्वार के सामान है। ~ भगवान श्री कृष्ण

भगवान प्रत्येक वस्तु में है और सबके ऊपर भी। ~ भगवान श्री कृष्ण

अपने कर्म पर अपना दिल लगाए, ना की उसके फल पर। ~ भगवान श्री कृष्ण


Bhagwat Geeta Saar in hindi

आपके सार्वलौकिक रूप का मुझे न प्रारंभ न मध्य न अंत दिखाई दे रहा है। ~ भगवान श्री कृष्ण

बुद्धिमान व्यक्ति को समाज कल्याण के लिए बिना आसक्ति के काम करना चाहिए।  ~ भगवान श्री कृष्ण

जो व्यक्ति आध्यात्मिक जागरूकता के शिखर तक पहुँच चुके हैं, उनका मार्ग है निःस्वार्थ कर्म. जो भगवान् के साथ संयोजित हो चुके हैं उनका मार्ग है स्थिरता और शांति। ~ भगवान श्री कृष्ण

यद्द्यापी मैं इस तंत्र का रचयिता हूँ, लेकिन सभी को यह ज्ञात होना चाहिए कि मैं कुछ नहीं करता और मैं अनंत हूँ। ~ भगवान श्री कृष्ण


जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं। ~ भगवान श्री कृष्ण


वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और “मैं” और “मेरा” की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है उसे शांती प्राप्त होती है। ~ भगवान श्री कृष्ण

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